श्रीआदिशंकराचार्य रचित शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र : *नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न-काराय नमः शिवाय ॥१॥* ( नागेन्द्र - शेषनाग , त्रिलोचन - तीन नेत्र वाले , भस्माङ्ग - शमशान की भस्म धारण करने वाले , महेश्वर - महान ईश्वर , नित्य - शाश्वत ) हे नागों के प्रमुख को माला की तरह धारण करने वाले , हे तीन नेत्र वाले , हे शमशान की भस्म धारण करने वाले , हे ईश्वरो के महान ईश्वर , आप शाश्वत एवं पवित्र हैं। 'न' वर्ण स्वरुप वाले दिगम्बर आपको नमस्कार हैं। ( Who has the King of Snakes as His Garland and Who has Three Eyes, Whose Body is Smeared with Sacred Ashes and Who is the Great Lord, Who is Eternal, Who is ever Pure and Who has the Four Directions as His Clothes, Salutations to that Shiva, Who is represented by syllable "Na".) *मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।* *मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै म-काराय नमः शिवाय ॥२॥* ( मन्दाकिनी - वैकुण्ठ वासिनी माता गंगा , सलिल - प्रवाहित , चर्चित - आलिप्त , नन्दीश्वर -