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हनुमान जयंती (Hanumaan jayanti)

                हनुमान जयंती (Hanumaan jayanti )        हनुमान जयंती भारतीय पंचांग (हिन्दू कैलेंडर)  के अनुसार, प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। चैत्र पूर्णिमा के दिन राम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था।  पवनपुत्र के नाम से प्रसिद्ध हनुमान जी की माता अंजनी और पिता वानरराज केसरी थे। हनुमान जी को बजरंगबली, केसरीनंदन और आंजनाय के नाम से भी पुकारा जाता है। वास्तव में हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं, जिन्होंने त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम की भक्ति और सेवा के लिए जन्म लिया। संकटों का नाश करने वाले हनुमान जी को संकटमोचन भी कहते हैं।   हनुमान जयंती पर जानते हैं उनके जन्म से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।                          संकटमोचन हनुमान जी का जन्म स्थान     1. हरियाणा के कैथल में जन्मे थे हनुमान जी ऐसी मान्यता है कि हुनमान ​जी के...

रामनवमी ( Raam Navmi)

                  रामनवमी ( Raam Navmi)           भारतीय पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के चैत्र मास (प्रथम माह)  (March-April)  के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को प्रत्येक वर्ष राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था। चैत्रे नवम्यां प्राक् पक्षे दिवा पुण्ये पुनर्वसौ ।       उदये गुरुगौरांश्चोः स्वोच्चस्थे ग्रहपञ्चके ॥ मेषं पूषणि सम्प्राप्ते लग्ने कर्कटकाह्वये ।      आविरसीत्सकलया कौसल्यायां परः पुमान् ॥                                                       (निर्णयसिन्धु)          इस श्लोक के अनुसार श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था।      ...

नवरात्रि - दुर्गा सप्तशती- पूजन विधि (Navratri - Durga Saptshati - Poojan Vidhi)

     नवरात्रि - दुर्गा सप्तशती- पूजन विधि      Navratri - Durga Saptshati - Poojan Vidhi            "नवरात्रि" संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "नौ रातें"।  आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना को समर्पित नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है-  चैत्र, आषाढ़,  आश्विन तथा पौष मास में। जिसमें वासंतिक /चैत्र ( March-April) नवरात्रि और दूसरा शारदीय/ अश्विन (September - October) नवरात्रि विशेष रूप से मनायी जाता है । भारतीय पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ होता है।        चैत्र मास की नवमी को ''राम नवमी" तथा अश्विन मास की दशमी तिथि को "विजयादशमी/ दशहरा" मनाया जाता है।     "नवरात्रि"  मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व है।    इन नौ दिनों में मां दुर्गा के निम्नलिखित स्वरूप की पूजा की जाती है-  १) नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री (पहाड़ों की पुत्री) की पूजा की जाती है। २) दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूज...

होलिकाया: हार्दिक शुभाशयाः ।। Happy Holi

अयं होलीमहोत्सवः भवत्कृते भवत्परिवारकृते च क्षेमस्थैर्य आयुः आरोग्य ऐश्वर्य अभिवृद्घिकारकः भवतु अपि च श्रीसद्गुरुकृपाप्रसादेन सकलदुःखनिवृत्तिः आध्यात्मिक प्रगतिः श्रीभगवत्प्राप्तिः च भवतु इति|| ।। होलिकाया: हार्दिक शुभाशयाः ।। 🙏🏻॥ शुभ होली !

शिव तांडव स्तोत्रम् (Shiv Tandav Stotram)

Shiv tandav stotra shivji शिव तांडव स्तोत्रम्- जटाटवी-गलज्जल-प्रवाह-पावित-स्थले गलेऽव-लम्ब्य-लम्बितां- भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम् । डमड्डमड्डमड्डम-न्निनादव-ड्डमर्वयं चकार-चण्ड्ताण्डवं-तनोतु-नः शिवः शिवम् .. १.. जिन शिव जी की सघन जटारूप वन से प्रवाहित हो गंगा जी की धारायं उनके कंठ को प्रक्षालित कर रही होती हैं, जिनके गले में बडे एवं लम्बे सर्पों की मालाएं लटक रहीं हैं, तथा जो शिव जी डम-डम डमरू बजा कर प्रचण्ड ताण्डव करते हैं, वे शिवजी हमारा कल्यान करें ------ जटा-कटा-हसं-भ्रमभ्रमन्नि-लिम्प-निर्झरी- -विलोलवी-चिवल्लरी-विराजमान-मूर्धनि . धगद्धगद्धग-ज्ज्वल-ल्ललाट-पट्ट-पावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम .. २ जिन शिव जी के जटाओं में अतिवेग से विलास पुर्वक भ्रमण कर रही देवी गंगा की लहरे उनके शिश पर लहरा रहीं हैं, जिनके मस्तक पर अग्नि की प्रचण्ड ज्वालायें धधक-धधक करके प्रज्वलित हो रहीं हैं, उन बाल चंद्रमा से विभूषित शिवजी में मेरा अंनुराग प्रतिक्षण बढता रहे ----- धरा-धरेन्द्र-नंदिनीविलास-बन्धु-बन्धुर स्फुर-द्दिगन्त-सन्ततिप्रमोद-मान-मानसे . कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरापदि क्वचि-द्दिगम्बरे-...

शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम् (Shiv Panchakshram Stotram)

श्रीआदिशंकराचार्य रचित शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र : *नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय  भस्माङ्गरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न-काराय नमः शिवाय ॥१॥* ( नागेन्द्र  - शेषनाग , त्रिलोचन - तीन नेत्र वाले , भस्माङ्ग - शमशान की भस्म धारण करने वाले , महेश्वर - महान ईश्वर , नित्य - शाश्वत ) हे नागों के प्रमुख को माला की तरह धारण करने वाले , हे तीन नेत्र वाले , हे शमशान की भस्म धारण करने वाले , हे ईश्वरो के महान ईश्वर , आप शाश्वत एवं पवित्र हैं। 'न' वर्ण स्वरुप वाले दिगम्बर आपको नमस्कार हैं। ( Who has the King of Snakes as His Garland and Who has Three Eyes, Whose Body is Smeared with Sacred Ashes and Who is the Great Lord, Who is Eternal, Who is ever Pure and Who has the Four Directions as His Clothes, Salutations to that Shiva, Who is represented by syllable "Na".) *मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।* *मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय  तस्मै म-काराय नमः शिवाय ॥२॥* ( मन्दाकिनी - वैकुण्ठ वासिनी माता गंगा , सलिल - प्रवाहित , चर्चित - आलिप्त , नन्दीश्वर - ...

श्रीरुद्राष्टकम् (Rudrashtkam)

॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥ नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयं  गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकाल कालं कृपालं  गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥ तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं  मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥ चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् । मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं  प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥ प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् । त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ ५॥ कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी । चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६॥ न यावत् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् । न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥ ७॥ न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् । जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश ...

Happy Friendship Day (Shalok on Friendship)

पापान्निवारयति योजयते हिताय, गुह्यं निगूहति गुणान् प्रकटी करोति। आपद्गतं च न जहाति ददाति काले,  सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः।।                          (भर्तृ.नीति.63)      अच्छे मित्र के लक्षण नीतिकार इस प्रकार कहते हैं - जो पापयुक्त आचरण करने से रोकता है, कल्याण कार्यो में लगाता है, गुप्त बातों को छिपाता है, अप्रकट गुणों को भी प्रकट करता है, विपत्ति के समय नहीं छोड़ता है, विपत्ति में यथाशक्तिः धन आदि देकर सहायता करता है वही श्रेष्ठ मित्र हैं। The characteristic of a good friend are described by saints in his way - he dissuades (Friend ) from sinful acts, induces (him) in good acts, conceals the secrets, discloses the hidden merits, does not leaves in distress, helps in the time of need.