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सुविचार: (Thought)

आदरात् संगृहीतेन शत्रुणा शत्रुमुद्धरेत्| पादलग्नं करस्थेन कण्टकेनैव कण्टकम्|| अर्थ- आदर देकर वश में किये हुए शत्रु से शत्रु को नष्ट करना चाहिए| जैसे यदि पाँव में काँटा चुभ जाए, तो उसे हाथ में पकड़े काँटे से ही निकाला जाता है। व्यक्ति को चाहिए कि वह शत्रु को भी आदर दें इससे शत्रुता स्वयं ही नष्ट हो जाती है।

महेश्वर सूत्राणि (Maheshwar sutrani ) उच्चारण-अभ्यासार्थंम्

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उच्चारण-अभ्यासार्थं  संस्कृत-व्याकरण-ज्ञानार्थं च-            महेश्वर सूत्राणि (Maheshwar sutrani )      माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि)  को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है।  इनका उललेख पाणिनि कृत अष्टाध्यायी में किया है।  इसमें लगभग ४००० सूत्र  है , जो आठ अध्यायों में विभाजित हैं।  पाणिनि ने व्याकरण को स्मृतिगम्य बनाने के लिए सूत्र शैली की सहायता ली है। इन्हें ‘प्रत्याहार विधायक’ सूत्र भी कहा जाता है। प्रत्याहार का अर्थ होता है – संक्षिप्त कथन । स्वर वर्णों को अच् एवं व्यंजन वर्णों को हल् कहा जाता है। माहेश्वर सूत्रों को उच्चारण अभ्यास हेतु प्रयोग में लाया जा है। इन सूत्रों की कुल संख्या १४ है जो निम्नलिखित हैं: १. अइउण्। २. ऋऌक्। ३. एओङ्। ४. ऐऔच्। ५. हयवरट्। ६. लण्। ७. ञमङणनम्। ८. झभञ्। ९. घढधष्। १०. जबगडदश्। ११. खफछठथचटतव्। १२. कपय्। १३. शषसर्। १४. हल्।               ------------------------- कहा जाता है कि इनकी उत्पत्ति भगवान शिव ( नटराज) के नृत्य के समय हुई थी जो इस श्लोक में स्पष्ट है।

वेदों से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण जानकारी (Knowledge About VED )

वेदों से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रश्नोत्तरों के माध्यम से- प्र.1- वेद किसे कहते है ? उत्तर- ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है। प्र.2- वेद-ज्ञान किसने दिया ? उत्तर- ईश्वर ने दिया। प्र.3- ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ? उत्तर- ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया। प्र.4- ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ? उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए। प्र.5- वेद कितने है ? उत्तर- चार प्रकार के । 1-ऋग्वेद 2 - यजुर्वेद 3- सामवेद 4 - अथर्ववेद प्र.6- वेदों के ब्राह्मण । वेद ब्राह्मण 1 - ऋग्वेद - ऐतरेय 2 - यजुर्वेद - शतपथ 3 - सामवेद - तांड्य 4 - अथर्ववेद - गोपथ प्र.7- वेदों के उपवेद कितने है। उत्तर - वेदों के चार उप वेद है । वेद उपवेद 1- ऋग्वेद - आयुर्वेद 2- यजुर्वेद - धनुर्वेद 3 -सामवेद - गंधर्ववेद 4- अथर्ववेद - अर्थवेद प्र 8- वेदों के अंग हैं कितने होते है । उत्तर - वेदों के छः अंग होते है । 1 - शिक्षा 2 - कल्प 3 - निरूक्त 4 - व्याकरण 5 - छंद 6 - ज्योतिष प्र.9- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन -किन ऋषियों को दिया ? उत्तर- वेदों का ज्ञान चार ऋषियों को दिया । वेद ऋषि 1- ऋग्वेद - अग्नि 2 - यजु

उच्चारण-स्थानानि (Uccharan Sthaan)

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             उच्चारण-स्थानानि (Uccharan Sthaan)                                                क्रम /  संस्कृत-सूत्राणि / वर्ण / उच्चारण स्थान/ श्रेणी  १) अ-कु-ह-विसर्जनीयानां कण्ठः। -अकार (अ, आ), कु= कवर्ग ( क, ख, ग, घ, ङ् ), हकार (ह्), और विसर्जनीय (:) का उच्चारण स्थान कंठ और जीभ का निचला भाग  "कंठ्य"  है। २) इ-चु-य-शानां तालु।  -इकार (इ, ई ) , चु= चवर्ग ( च, छ, ज, झ, ञ ), यकार (य) और शकार (श) इनका “ तालु और जीभ / तालव्य ” उच्चारण स्थान है।   ३) ऋ-टु-र-षाणां मूर्धा।  -ऋकार (ऋ), टु = टवर्ग ( ट, ठ, ड, ढ, ण ), रेफ (र) और षकार (ष) इनका “ मूर्धा और जीभ / मूर्धन्य ” उच्चारण स्थान है।  ४) लृ-तु-ल-सानां दन्ता: । -लृकार (लृ), तु = तवर्ग ( त, थ, द, ध, न ), लकार (ल) और सकार (स) इनका उच्चारण स्थान “दाँत और जीभ / दंत्य ” है। ५) उ-पु-उपध्मानीयानाम् ओष्ठौ । - उकार (उ, ऊ), पु = पवर्ग ( प, फ, ब, भ, म ) और उपध्मानीय इनका उच्चारण स्थान "दोनों होंठ / ओष्ठ्य ” है।  ६) ञ-म-ङ-ण-नानां नासिका च । - ञकार (ञ), मकार (म), ङकार (ङ), णकार (ण), नकार (न), अं  इनका उच्चारण स्थान “नासिका” है ।   ७) ऐदैत