संस्कृत-गीतम् (Sanskrit Song) - मनसा सततम् स्मरणीयम्


मनसा सततम् स्मरणीयम्
वचसा सततम् वदनीयम्
लोकहितम् मम करणीयम् ॥धृ॥

न भोग भवने रमणीयम्
न च सुख शयने शयनीयम्
अहर्निशम् जागरणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम् ॥१॥

न जातु दुःखम् गणनीयम्
न च निज सौख्यम् मननीयम्
कार्य क्षेत्रे त्वरणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम् ॥२॥

दुःख सागरे तरणीयम्
कष्ट पर्वते चरणीयम्
विपत्ति विपिने भ्रमणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम् ॥३॥

गहनारण्ये घनान्धकारे
बन्धु जना ये स्थिता गह्वरे
तत्र मया सन्चरणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम् ॥४॥
-----श्रोतुम् -
https://drive.google.com/file/d/0B4UJNc1YSXweRXZMbnoySXNRU1U/view?usp=drivesdk

Comments

Popular posts from this blog

उच्चारण-स्थानानि (Uccharan Sthaan)

संस्कृत वाक्य रचना- धातु/लकार परिचय

चल चल पुरतो निधेहि चरणम् (Chal Chal Puruto- Sanskrit Song)