9.1 कक्षा नवमी, प्रथम: पाठ: (भारतीवसन्तगीतिः ) Class 9th, Lesson-1 ( BharatiVasantGeetiH )

              9.1    कक्षा नवमी,  प्रथम: पाठ: 
                      (भारतीवसन्तगीतिः )
               Class 9th, Lesson-1  
                 ( BharatiVasantGeetiH )
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नमोनमः। 
नवमकक्ष्यायाः शेमुषी भाग- 1 इति पाठ्यपुस्तकस्य शिक्षणे स्वागतम् । 
अद्य वयं प्रथमं पाठं पठामः। 
 पाठस्य नाम अस्ति भारतीवसन्तगीतिः।

    भारतीवसन्तगीतिः 
 वसन्तगीतिः = वसंतस्य गीति:
        
भारती    -    सरस्वती
वसन्त     -    वसंत ऋतु
गीतिः     -     गीत
        सरस्वती के वसंत ऋतु के गीत।                

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         अयं पाठः आधुनिकसंस्कृतकवेः पण्डित-जानकीवल्लभ-शास्त्रिाणः "काकली" इति गीतसंग्रहात् सङ्कलितोsस्ति। प्रकृतेः सौन्दर्यम् अवलोक्य एव सरस्वत्यः वीणायाः मधुरझङ्कृतयः
प्रभवितुं शक्यन्ते इति भावनापुरस्सरं कविः प्रकृतेः सौन्दर्यं वर्णयन् सरस्वतीं वीणावादनाय
सम्प्रार्थयते।

यह गीत आधुनिक संस्कृत-साहित्य के प्रख्यात कवि पं. जानकी वल्लभ शास्त्री की रचना
‘काकली’ नामक गीतसंग्रह से संकलित है। इसमें सरस्वती की वन्दना करते हुए कामना की गई
है कि हे सरस्वती! ऐसी वीणा बजाओ, जिससे मधुर मञ्जरियों से पीत पंक्तिवाले आम के वृक्ष,
कोयल का कूजन, वायु का धीरे-धीरे बहना, अमराइयों में काले भ्रमरों का गुञ्जार और नदियों का
(लीला के साथ बहता हुआ) जल, वसन्त ऋतु में मोहक हो उठे। स्वाधीनता संग्राम की पृष्ठभूमि
में लिखी गयी यह गीतिका एक नवीन चेतना का आवाहन करती है तथा ऐसे वीणास्वर की
परिकल्पना करती है जो स्वाधीनता प्राप्ति के लिए जनसमुदाय को प्रेरित करे।
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       निनादय नवीनामये वाणि! वीणाम्
       मृदुं गाय गीतिं ललित-नीति-लीनाम् ।    
       मधुर-मञ्जरी-पिञ्जरी-भूत-मालाः
       वसन्ते लसन्तीह सरसा रसालाः
       कलापाः ललित-कोकिला-काकलीनाम् ।।1।।
                                               निनादय...।।

                     शब्दार्थाः -
• निनादय      - गुंजित करो/बजाओ
• नवीनाम्      - नवीन नई
• अये            - हे
• वाणि          - वाणी
• वीणाम्        - वीणा को
• मृदुं             -  कोमल
• गाय            - गान करो
• गीतिं           - गीत
• ललित         - सूंदर  /मोहक
• नीति-लीनाम्    -  नीति में लीन
•  मधुर-मञ्जरी  -  मधुर-मञ्जरी
•  पिञ्जरी-भूत-मालाः    - पीले वर्ण से युक्त पंक्तियाँ
•  वसन्ते         - वसंत में
•  लसन्ति       - सुशोभित हो रही है
•  इह            -  यहाँ/ इस
•  सरसा        - मधुर
•  रसालाः      - आम के पेड़
•  कलापाः     - समूह
•  ललित        - मनोहर
•  कोकिला-काकलीनाम्     - कोयल की आवाज

             अन्वय और हिन्दी भावार्थ
अन्वय-
अये वाणि! नवीनां वीणां निनादय।
हिन्दी भावार्थ-  
हे वाणी! नवीन वीणा को बजाओ,

      अन्वय-
ललित-नीतिलीनां गीतिं मृदुं गाय।
     हिन्दी भावार्थ-  
सुन्दर नीतियों से परिपूर्ण गीत का मधुर गान करो।

      अन्वय- 
इह वसन्ते मधुर-मञ्जरी-पिञ्जरी-भूतमालाः सरसाः रसालाः लसन्ति।
     हिन्दी भावार्थ-  
इस वसन्त में मधुर मञ्जरियों से पीली हो गयी सरस आम के वृक्षों की माला सुशोभित हो रही है।

     अन्वय- 
ललित-कोकिला-काकलीनां कलापाः (विलसन्ति)। अये वाणि!
    हिन्दी भावार्थ-  
मनोहर काकली (बोली,  कूक) वाली कोकिलों के समूह सुन्दर लग रहे हैं। हे वाणी!

    अन्वय- 
नवीनां वीणां निनादय।
    हिन्दी भावार्थ-  
नवीन वीणा को बजाओ।

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वहति मन्दमन्दं सनीरे समीरे
कलिन्दात्मजायास्सवानीरतीरे,
नतां पङ्क्तिमालोक्य मधुमाधवीनाम् ।।2।।
निनादय...।।

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ललित-पल्लवे पादपे पुष्पपुञ्जे
मलयमारुतोच्चुम्बिते मञ्जुकुञ्जे,
स्वनन्तीन्ततिम्प्रेक्ष्य मलिनामलीनाम् ।।3।।
निनादय...।।

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लतानां नितान्तं सुमं शान्तिशीलम्
चलेदुच्छलेत्कान्तसलिलं सलीलम्,
तवाकर्ण्य वीणामदीनां नदीनाम् ।।4।।
निनादय...।।

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      (1) पठनाय (Lesson in PDF) - 
       https://drive.google.com/file/d/1rebZvarPMDtZfcVUjwgabbOgwnWxi33Z/view?usp=drivesdk
    

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             (2) दर्शनाय - दृश्य-श्रव्य (Video ) 
        पाठ: 
https://youtu.be/HFtX2jseYg4
   (OnlinesamskrTutorial)
 
       पाठ अर्थ सहित          
https://youtu.be/nBiApmhucIU
    (Zero to Plus Sanskrit)

https://youtu.be/vcjfIwtuLUE
  (Ns Media) 
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           (3) अभ्यास-कार्यम् -प्रश्नोत्तराणि 
                  (Lesson Exercise - )             
  https://drive.google.com/file/d/1_kTDXbT7z77hASy6f-CB4YGLy5on95yh/view?usp=drivesdk

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