एकता मंत्र ( Ekta Mantra ) यं वैदिका मन्त्रदृशः पुराणाः......

   एकता मंत्र ( Ekta Mantra ) -

यं वैदिका मन्त्रदृशः पुराणाः
इन्द्रं यमं मातरिश्वा नमाहुः।
वेदान्तिनो निर्वचनीयमेकम्
यं ब्रह्म शब्देन विनिर्दिशन्ति॥

शैवायमीशं शिव इत्यवोचन्
यं वैष्णवा विष्णुरिति स्तुवन्ति।
बुद्धस्तथार्हन् इति बौद्ध जैनाः
सत् श्री अकालेति च सिख्ख सन्तः॥

शास्तेति केचित् कतिचित् कुमारः
 स्वामीति मातेति पितेति भक्त्या।
यं प्रार्थन्यन्ते जगदीशितारम्
 स एक एव प्रभुरद्वितीयः॥

प्राचीन काल के मन्त्रद्रष्टा ऋषियों ने जिसे इंद्र , यम , मातरिश्वान (वैदिका देवता) कहकर पुकारा और जिस एक अनिर्वचनीय को वेदान्ती ब्रह्म शब्द से निर्देश करते हैं।

शैव जिसकी शिव और वैष्णव जिसकी विष्णु कहकर स्तुति करते हैं।
बौद्ध और जैन जिसे बुद्ध और अर्हन्त कहते हैं तथा
सिक्ख सन्त जिसे सत् श्री अकाल कहकर पुकारते हैं।

जिस जगत के स्वामी को कोई शास्ता तो कोई प्रकृति ,
कोई कुमारस्वामी कहते हैं तो कोई जिसको स्वामी , माता-पिता कहकर भक्तिपूर्वक प्रार्थना करते हैं ,
वह प्रभु एक ही है
अर्थात् अद्वितीय है ।
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Meaning:

Whom (Yam) the Vaidika Mantradrashah (those who have understood the Vedas and to whom the mantras were revealed), the Puranas (stories and history of ancient times) and other sacred scrip­tures call: Indram (Indra, the God of Gods), Yamam (Yama, the eternal timeless God) and Mātariśvā (present everywhere like air). Whom the Vedāntins (those who follow the philosophy of Vedānta), indicate by the word Brahma as the One (ekam) which cannot be described or explained (Nirvachaniya).

Whom the Śaivas call (Avochan) the Omnipotent (Yamisham) Śiva and Vaishnavas praise (stuvanti) as Vishnu, the Buddhists and Jains (Baudhajainaha) respectively call as Buddha and Arhant (without any end), whom the Sikh sages (Sikh-santaha) call Sat Śrī Akāl (the timeless Truth).

Some (kecit) call Whom as Śāstā, others (katicit) Kumāra, some call It Swāmī (Lord of the Universe and protector of all), some Mātā (divine mother) or Pitā (father). To whom they offer prayers, It (Sa) is the same and the only One (Eka Eva), without a second (advitiyah).

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